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( ३२ ) प्र. ६६. सुगंध दुर्गन्ध आदि में रागद्वेष का अभाव कैसे हो ? उ. मैं प्रात्मा अगन्ध स्वभावी हूं मेरा सुगन्ध दुर्गन्ध गुण से तथा पुद्गलों से किसी भी प्रकार का सम्बन्ध नहीं है ऐसा जाने माने तो रागद्वेष का अभाव हो। प्र० ६७. काला, पीला, नीला, लाल, सफेद क्या है ? उ० पुद्गल के वर्ण की गुण पर्याय हैं। प्र० ६८. काला पोला आदि वर्ण गुण की पर्यायों को जानकर अज्ञानी राग द्वेष कसे करता है ? उ० मैं कला हूं तो द्वेष करता है गोरा होने में राग करता है । मुझे गोरी घरवाली चाहिये काली नहीं चाहिए आदि भावों में पागल बना रहता है। प्र० ६६. काला गोरा रूप रागद्वेष का अभाव कैसे हो ? उ० मैं आत्मा अरूप स्वभावी भगवान हूं काला गोरा आदि पुद्गलों के वर्ण गुण की पर्यायों से मेरा संबंध नहीं है ऐसा जाने माने तो रागद्वेष का अभाव हो । प्र० ७०. पुद्गल जड़ है या नहीं ? उ० पुद्गल जड़ है । प्र° ७१. यदि हम पुद्गल का लक्षण जड़ कहे तो ठीक है ना ? उ° पुदगल का लक्षण जड़ मानने से अतिव्याप्ति दोष आता है । प्र० ७२. पुद्गल का लक्षण क्षेत्र क्षेत्रान्तर अर्थात् गति स्थिति रूप है ना? उ० प्रतिव्याप्ति दोष आता है। प्र० ७३. पुद्गल का लक्षण एक प्रदेशी है, ठीक है ना ? उ० प्रतिव्याप्ति दोष पाता है ।