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५० १४. पुद्गल से जीव का सम्बन्ध नहीं है यह कहाँ आया है ? पूज्यपाद भगवान ने इप्टोपदेश की ५० वीं गाथा में कहा है कि "जीव जुदा, पुद्गल जुदा, यही तत्व का सार । अन्य कछु व्याख्यान जो, सब याही का विस्तार |
उ०
प्र० १५. पुद्गलास्तिकाय का शाब्दिक अर्थ क्या है ?
(१) पुद - जुड़ना, (२) गल = बिछुड़ना, विखरना ( ३ ) ग्रस्ति = होना, (४) काय समूह अर्थात् इकट्ठा होना ।
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उ०
प्र० १६. पुद्गल द्रव्य का पूरा नाम क्या है ? पुद्गल । स्तिकाय ।
उ०
प्र० १७. पुद् अर्थात् जुड़ना से क्या तात्पर्य है ?
(१) जैसे चार सौ पन्नों की किताब मैंने जोड़ दी, इसमें किताब जुड़ी पुद्द के कारण, मानी मैंने जोड़ी तो उसने पुद्गलास्तिकाय के 'पु' को उड़ा दिया । (२) मैंने रुपया कमाया, कमाया गया 'पुद्' के कारण, माना मैंने कमाया, तो पुद्गलास्तिकाय के 'पुद्द' को नहीं माना ।
उ०
प्र० १८. 'पुद्' को कब माना । उ० (१) मैंने भाड़ दी, (२) मैंने दाने इकट्ठे कर दिये (३) मैंने कमीज के टुकड़ों को जोड़ दिया आदि कथनों में झाड़ आना, दाना इकट्ठा करना, टुकड़ों को जोड़ना आदि 'पुद्' से हुआ मेरे से नहीं, तब 'पुद्' को
माना ।
प्र० १६. 'गल' अर्थात बिखरना से क्या तात्पर्य है ?
उ० जैसे बच्चे के हाथ में कांच का गिलास था, उसमें दूध था वह गिर गया, प्रज्ञानी को क्या लगता है, कि बच्च े ने सावधानी नहीं रक्खी