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( १८ ) प्र० २३ जोव का लक्षण भावकर्म कहें तो क्या दोष आता है ? उ० (१) अध्यात्म की अपेक्षा असम्भव दोप आता है ।
(२) आगम की अपेक्षा अव्याप्ति दोष प्राता है क्योंकि दसवें गुण
स्थान तक भावकम है बाद के जीवों में नहीं है । प्र. २४ जीव का लक्षण मति थ त ज्ञानी कहे तो कुछ दोप पाता है ? उ0 अव्याप्ति दोष पाता है । प्र० २५ जीव का लक्षण केवल ज्ञान कहें तो कुज दोप नहीं पाता ? उ० अव्याप्ति दोप पाता है। प्र० २६ जीव का लक्षण कान नाक से ज्ञान करना कहें तो क्या दोष प्राता है ? उ० असम्भव दोष आता है । प्र० २७ जीव का लक्षण अंगो मांडना कहे तो क्या दोप पाता है ? उ० प्रव्याप्ति दोष आता है । प्र० २८ जीव का लक्षण इन्द्रियाँ और मन कहें तो क्या दोष पाता है ? उ० प्रसम्भव दोष प्राता है । प्र. २६ जीव का लक्षण अरूपी कहें तो क्या दोष प्राता है ? उ० प्रतिव्याप्ति दोष पाता है। प्र० ३० जीव का लक्षण बाहरी तपस्या और नग्न रहना है ना ? उ० असम्भव दोष पाता है । प्र० ३१ जोव का लक्षण क्रियावती शक्तिवाला कहें तो ठीक है ना ? उ० प्रतिव्याप्ति दोष पाता है। प्र० ३२ जीव का लक्षण पर का भला बुरा करना, सत्य बोलना, देश का