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( १७ ) प्र. १६ 'जीव का लक्षण उपयोग है' कहाँ पाया है । उ० समस्त शास्त्रों में पाया है ।
(१) उपयोगो लक्षणम् (तत्वार्थ सूत्र अध्याय दूसरा सूत्र ८) (२) समयसार गा० २४
(३) छः ढाला में "चेतन को है उपयोग रूप" प्र० १७ जीव के कितने प्रदेश हैं ? उ० असंख्यात प्रदेश है । प्र० १८ संकोच विस्तार किसमें होता है ? उ० जीव के प्रदेश संकोच और विस्तार को प्राप्त होते है इसीलिए लोक के असम्यानवे भाग से लेकर समस्त लोक के अवगाह रूप से है । प्र० १६ जीव के प्रदेश असंख्यात हैं तो और किमी द्रव्य के भी प्रसंख्यात
प्रदेश हैं ?
उ० धर्म द्रव्य, अधर्म द्रव्य एक जीव और लोकाकाश के प्रसंख्यात प्रदेश है। प्र० २० जीव तथा धर्म अधर्म के असंख्यात प्रदेशों में कुछ अंतर है ? उ० धर्म अधर्म समस्त लोकाकाश में व्याप्त है जबकि जीव के प्रदेश संकोच विस्तार को प्राप्त होते हैं । इस प्रकार अवगाह में अन्तर है ? प्र० २१ जीव में क्रियावती शक्ति है और उसका काम क्या है ? उ० जीव में क्रियावती शक्ति नाम का गुण है उस कियावती शक्ति का गतिरूप और स्थिति रूप दो प्रकार का परिणमन है । प्र. २२ जीव का लक्षण शरीर कहें तो क्या दोष पाता है ? उ० असंभव दोष आता है ।