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( १५ ) उ० जीव द्रव्य में चैतन्य (ज्ञान-दर्शन) श्रद्धा, चारित्र, सुख, क्रियावती शक्ति इत्यादि अनेक विशेष गुण हैं । प्र० ८. जब जोव द्रव्य में सामान्य और विशेष गुण अनेक हैं नो सबके नाम क्यों नहीं बताये ? उ० हमारा प्रयोजन मोक्षमार्ग की सिद्धि करना है । सो जिन सामान्य विशेष गुणों को श्रद्धान करने से मोक्ष हो, और जिनका श्रद्धान किये बिमा मोक्ष ना हो उन्हीं का यहां हमने वर्णन किया है । Fok: जीव कितने हैं ? उ० अनन्त हैं। प्र० १०. जीव अनन्त हैं कब माना ? उ० मैं एक जीव हूं दूसरे भी पृथक २ अनन्त जीव हैं। प्रत्येक जीव अपने गुण पर्यायों सहित अपने अपने द्रव्य क्षेत्र-काल भाव में ही वर्त रहा है वर्तेगा और वर्तता रहा है। अनन्त जीवों के द्रव्य गुण पर्याय पृथक पृथक ज्ञान में आवे तब जीव अनन्त है ऐसा माना । प्र० ११. जीव अनन्त हैं ऐसा मानने वाले को क्या २ प्रश्न नहीं उठेगा। उ० (१) मैं दूसरे जीवों का भला कर दू (२) दसरे जीव मेरा भला
कर दें। (३) भगवान देव गुरू मेरा भला करदें, कोई दुश्मन मेरा बुरा करदे आदि प्रश्न नहीं उठ सकते हैं क्योंकि जीव अनन्त है और प्रत्येक जीब का स्वचतुष्टय पृथक पृथक
प्र० १२. जीव अनन्त हैं इसके जानने से दूसरा लाभ क्या रहा ? उ० जैसे वेदान्ती मानता है एक प्रात्मा है। और हमने जाना जीव अनन्त है एक मात्र प्रात्मा कहने वाला मूठा है ऐसा पता चल गया।