________________ ॐ सर्वज्ञदेव कथित छहों द्रव्यों की स्वतन्त्रता दर्शक सामान्य गुण 1. अस्तित्वगण कर्ता जगत का मानता जो 'कर्म या भगवान को, वह भूलता है लोक में, अस्तित्वगुण के ज्ञान को; उत्पाद व्यययुत वस्तु है, फिर भी सदा ध्रुवता धरे, अस्तित्व गुण के योग से कोई, नहीं जग में मरे / 2. वस्तुत्व गुण : वस्तुत्वगुण के योग से, हो द्रव्य में स्व-स्वक्रिया, स्वाधीन गुण-पर्याय का ही, पान द्रव्यों ने किया; सामान्य और विशेषता से कर रहे निन काम को, यों मानकर वस्तुत्व को, पामो विमल शिवधाम को / 3. द्रव्यत्वगुगा : द्रव्यत्वगुण इस वस्तु को, जग में पलटता है सदा, लेकिन कभी भी द्रव्य तो; तजता न लक्षण सम्पदा; स्वद्रव्य में मोक्षाथि हो, स्वाधीन सुख लो सर्वदा / हो नाश जिससे आजतक की दुःखदायी भवकथा /