________________ ( 206 ) उ. अन्योन्याभाव को नहीं माना / प्र० 117. क्या नामकर्म से शरीर की रचना होती है ? उ० अन्योन्याभाव को नहीं माना। प्र. 118. बक्सा आत्मा ने तो नहीं उठाया, हाथों ने तो उठाया ? अन्योन्याभाव को नहीं माना। प्र० 116. मैं टट्टी जाता हूं कौनसे प्रभाव को नहीं माना ? अत्यन्ताभाव को नहीं माना। प्र० 120. शरीर तो टट्टी जाता है ना ? उ० अन्योन्याभाव को नहीं माना। प्र० 121. (1) सम्यग्दर्शन (2) केवल ज्ञान (3) घड़ा बना (4) बिस्तर बिछा (5) हाथ उठाया (6) खिड़की खोली (7) प्रकाश हुमा, इन में प्रागभाव प्रध्वंसाभाव बताओ? उ० जबानी बताओ। म. 122. जीव को साता के उदय से सामग्री मिली, इसमें चार प्रभाव लगायो ? 1. जीव का.... 'सामग्री में प्रभाव, अत्यन्ताभाव है। 2. साता के उदय का और..... 'सामग्री के होने में, अन्योन्या भाव है। 3. सामग्री आई का.... 'पूर्व पर्याय में प्रभाव, प्रागभाव है। 4. सामग्री का, भविष्य की पर्याय में प्रभाव प्रध्वंसाभाव है।