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________________ ( १२ ) तादात्म्य संबंध है इनसे मोक्षमार्ग माने तो क्या होगा ? उ० जैसे करेला कड़वा ऊपर से नीम चढ़ा; उसी प्रकार दिगम्बर धर्म धारण करने पर इन विकारी भावों से मोक्षमार्ग माने तो मिथ्यात्वादि की पुष्टि होकर निगोद में चला जावेगा। और शुभ भावों को पुण्यबन्ध का कारण माने तो उसका प्रभाव करके मोक्षमार्ग में प्रवेश कर सकता है । प्र० ३५. जिप्रका आत्मा से कभी भी प्रभाव ना हो, ऐसा कोई सम्बन्ध है? उ० प्रात्मा और ज्ञान दर्शन चारित्र आदि अनंत गुग्गों का प्रात्मा के गाथ नित्यतादात्म्य संबंध है ऐसा जानकर अभेद अपनो आत्मा का प्राश्रय ले तो सम्यग्दर्शनादि की प्राप्ति होती है। प्र० ३६. तीनों प्रकार के संबंध को जानने से क्या लाभ है ? (१) जो अत्यन्त भिन्न पदार्थ है उनसे मेरा किसी प्रकार का संबंध नहीं। (२) शरीर और कर्म का एक क्षेत्रावगाही संबंध है मेरा इसके साथ अत्यंताभाव है। (३) शुभाशुभ विकारी भावों के साथ अनित्य तादात्म्य सम्बन्ध है इनके प्राश्रय से जीव को दुःख होता है ऐसा जानकर (४) नित्यतादात्म्य सम्बन्ध जो प्रात्मा का अपने गुणों के साथ है उसका प्राश्रय ले तो मोक्षमार्ग को प्राप्ति होकर मोक्ष की प्राप्ति हो। प्र० ३७. छह द्रव्यों के समूह को एक नाम से क्या कहते हैं ? उ० विश्व । प्र० ३८. विश्व में छह द्रव्य हैं यह कथन कैसा है ? उ. व्यवहारनय का कथन है ।
SR No.010116
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages219
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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