________________ ( 191) . - - उ० जितने जीव द्रव्य हैं उतने ही ज्ञान और सुख गुण हैं / प्र० 38. अपने को कूटस्थ मानने वाला किस गुण का मर्म नहीं जानता ? उ० द्रव्यत्व गुण का / प्र. 36. मैं पर का शरीरादि का करने वाला क्या भूलता है ? उ० अगुरुलघुत्व गुण और अ यंताभाव को भूलता है। प्र० 40. ज्ञानावर्णी कर्म ने ज्ञान को दबाया, क्या यह ठीक है ? 20 गलत है, क्योंकि दोनों में अत्यंताभाव है। प्र. 41. क्रियावती शक्ति के गमन और स्थिति के निमित्त में क्या अन्तर उ० गति में निमित्त धर्म द्रव्य और स्थिति में अधर्म द्रव्य हैं / 42. सिद्ध भगवान को किसका निमित्त छूट गया और किसका सादि अनंत हो गया ? उ० धर्म द्रव्य का निमित्त छूट गया और सादि अनंत अधर्म द्रव्य का हो गया। प्र. 43. अनंत गुणों का द्रव्य के साथ कैसा संबंध है ? उ. नित्यतादात्म्य संबंध है। प्र. 44. शुभाशुभ भावों का गुण भेद का प्रात्मा के साथ कैसा संबंध है ? उ अनित्य तादात्म्य संबंध है। प्र० 45. छह द्रव्य किस 2 अपेक्षा समान नहीं हैं ?