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(३) एक द्रव्य में अनंत २ गुण है वह विपर कर लग २ नहीं होते हैं क्योंकि उन गुणों का द्रव्य, क्षेत्र, काल एक ही है ।
(४) एक गुण की पर्याय का उसी गुण की भूत, भविष्य पर्यायों से संबंध नहीं है।
इस प्रकार अगुरुलघुत्व गुरण से स्वतंत्रता का पता चलता है ।
८. क्या एक द्रव्य में रहने वाले गुण परस्पर एक दूसरे का कार्य करते हैं ?
उ०
बिल्कुल नहीं, क्योंकि दूसरे गुणरूप नहीं होता इसलिये नहीं जाता है ।
गुरुलघुत्व गुरम के कारण एक मुरल एक गुण का कार्यक्षेत्र दूसरे गुण में
Я.
६. एक गुण दूसरे गुरण में कार्यं क्यों नहीं करता ?
उ०
प्रत्येक गुरण नित्य परिरणमन स्वभावी होने से प्रति समय अपनी नई नई पर्यायें उत्पन्न करता है इस प्रकार एक द्रव्य के प्राश्रित गुणों में भी स्वतंत्रता होने से एक गुण का दूसरे गुण के साथ कर्ता - कर्म संबंध नहीं है।
प्र० १०. एक द्रव्य का दूसरे द्रव्य से संबंध नहीं है परन्तु अन्दर अनंत गुणों से भी संबंध नहीं है इस बात को स्पष्ट करिये ?
(१) जैसे किसी जीव को सम्यग्दर्शन हो गया तो वहां चारित्र, ज्ञान, दर्शन, वीर्य गुरण में कमी है ।