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पाठ १५
आरूलधुत्व गुण
प्र० १. अगुरूलघुम्ब गुग्ण किसे कहते हैं ? उ० जिस शत्ति के कारण द्रव्य का द्रव्यत्व बना रहे । अर्थात्
(१) एक द्रध्य दुसरे द्रव्य रूप नहीं होता है। (२) एक गुगण दूसरे गृण रूप नहीं होता हैं। (३) द्रव्य में विद्यमान अनन्त गुण विखरकर अलग २ ना हो
जावें उस शक्ति को अगुरूलघुत्व गुण कहते हैं । प्र० २. अपने जीव द्रव्य में अगुरूलघुत्व गुण के कारण उसके द्रव्य क्षेत्र
काल भाव की मर्यादा बतायो ? उ०
(१) अनन्त गुणों का पिण्ड मेरे जीव द्रव्य का स्वद्रव्यपना
स्थायी रहता है, वह कभी भी दूसरे अनन्त जीवरूप, अनंतानंत पुद्गल रूप, धर्म, अधर्म, प्राकाश और कालरूप, द्रव्य कर्म रूप, प्रांख, नाक, शरीररूप, मन, वाणी रूप
नहीं होता है। (२) मेरे जीव द्रव्य का असंख्यात प्रदेशी स्वक्षेत्र अपने क्षेत्र में
रहता है, वह कभी भी दूसरे जीवों के क्षेत्ररूप, द्रव्यकर्म के क्षेत्ररूप, पुद्गल आदि दूसरे द्रव्यों के क्षेत्ररूप, यांग्त्र,