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( ५ ) में भी पाया है। प्र० १५. जब केवली के ज्ञान में सब द्रव्यों के सर्व गुण पर्याय ज्ञान में प्राते हैं और वैसा हो होता है वैसा ही हो रहा है, वैसा ही होता रहेगा. इसको जानने से हमें क्या लाभ है ? उ० (१) अनादि से जो पर मैं कर्ता भोक्ता को बुद्धि थी उसका प्रभाव
हो जाता है। (२) मिथ्यात्व का प्रभाव होकर सम्यग्दर्शनादि को प्राप्ति
कर मोक्ष की प्रोर गमन । प्र० १६. केवली भगवान सब द्रव्यों का भूत भविष्य वर्तमाम को एक समय में युगपत जानते हैं, कहां २ पर पाया है ? उ० चारों अनुयोगों के शास्त्रों में पाया है।
(१) सर्व द्रव्यपर्यायेषु केवलस्य (मोक्ष शास्त्र अध्याय १ सूत्र २६) (२) प्रवचनसार गा० ३७, ३८, ४७, ४८. २०० में पाया है । (३) धवला पुस्तक १३ पृष्ठ ३४६ से ३५३ तक । (४) छहढाला में-'सकल द्रव्य के गुण अनन्त, परजाय अनन्ता,
जानै एक काल प्रगट केवलि भगबन्ता' । (५) रत्नकरण्ड श्रावकाचार में श्लोक १३७ के भावार्थ में लिखा
है जिस जोव के जिस देश में जिस काल में जिस विधान करके जन्म मरण का लाभ-अलाभ, सुख-दुःख होना जिनेन्द्र भगवान दिव्य ज्ञान कर जाना है, तिस जीव के तिस देश में, तिस काल में, तिस विधान करके जन्म मरण लाभ नियमते होय ही. ताहि दूर करने कूकू कोऊ इन्दमहमिन्द्र जिनेन्द्र समर्थ नाही है। ऐसे समस्त द्रव्यनि