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भगवान की ग्रावानुसार द्रव्यत्व गग्ग को समझ तो लौकिक में भी प्रशान्ति न आवेगी और अपना अनुभव कर ले तो मोक्ष रूपो लक्ष्मी का नाथ बन जावे ।
प्र ० २६. द्रव्यत्व गुण को जानने से लौकिक में शान्ति कैसे अवे ? ( १ ) ५० लाख का नुकसान या लाभ हो गया (२) लड़का मर गया या हो गया (३) मकान बन गया या गिर गया (४) शरीर में बीमारी आ गई या ठीक हो गई। यह सब द्रव्यत्व गुण के कारण पर्याय पलट गई दूसरे का हस्तक्षेप नहीं है तो तुरन्त शान्ति प्रावेगी ।
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प्र० २७. शरीर में बीमारी थी, दवा खाने से ठीक हो गई है वा ? बिल्कुल नहीं । घरीर की अवस्था द्रव्यत्व गुण के कारण बदल गई तो द्रव्यत्व गुण को माना और दवाई से वदली तो द्रव्यत्व गुण को नहीं माना ।
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प्र० २८. ( १ ) मैंने होशियारी नहीं रखी तो दूध फट गया (२) कुम्हार घड़ा बनाया (३) उसने गाली दी तो क्रोच ग्राया ( ४ ) मैंने मकान बनाया (५) बच्चे ने सावधानी नहीं रखी तो गिलास गिरकर फूट गया ( ६ ) मैंने लकड़ी से श्रालमारी बनाई (७) मैंने किताव बनाई ( ८ ) ज्ञानावर्णी के अभाव से केवलज्ञान हुग्रा (2) दर्शन मोहनीय के क्षय से क्षायिक सम्यक्त्व हुआ (१०) ग्रांख से ज्ञान हुआ आदि वाक्यों में द्रव्यत्व गुग्गा को कब माना और कब बहीं माना ?
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(१) मैंने होशियारी नहीं रखी तो दूध फट गया-दूध फटाद्रव्यत्व गुण के कारण फटने रूप अवस्था हुई ऐसा जाने माने तो द्रव्यत्व
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