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गुण को माना । फिर यह कि मैंने होशियारी नहीं रक्खी यह बात उड़ गयी । और द्ध फटा मेरी होशियारी न रखने से तो उसने द्रव्यत्व गुण को नहीं माना। इसी प्रकार | वाक्यों को लगायो ?
प्र० २६. द्रव्यत्व गुण के जानने वाले को कैसे २ प्रश्न नहीं उठेंगे ? उ० (१) ऐसा क्यों हुअा, (२) इससे यह (३) ऐपा हो, ऐसा न हो,
आदि प्रश्न नहीं उठ सकते हैं क्योंकि द्रव्यत्व गुगा के कारण पर्याय बदलती है तब ऐसा क्यों आदि प्रश्नों का अवकाश ही नहीं है
उ०
प्र० ३०. द्रव्यत्व गुण से क्या २ बात का निर्णय होना चाहिए ?
(१) प्रत्येक द्रव्य गुण की अवस्था निरन्तर स्वयं बदलती है । (२) एक द्रव्य गुण की पर्याय दूसरा द्रव्य गुण नहीं बदल
सकता है। (३) जीव की पर्याय प्रजीवों से नहीं बदलती। स्वयं बदलती
(४) अजीवों की पर्याय जीवों से नहीं बदलती। स्वयं बदलती
(५) अज्ञान दशा का प्रभाव एक समय में हो सकता है। (६) संसार एक समय का है । (७) मोक्ष भी एक समय का है ।
अ० ३१. आम खट्टे से मोठा पाल में दबाने से हुअा ना ? उ० बिलकली बिल्कुल नहीं; द्रव्यत्व गुण के कारण खट्टे से मीठा हुआ
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