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बदलती ग्रपनी योग्यता से है उसमें अन्तरंग निमित्त द्रव्यत्व गुण है ।
प्र० २२. दुःख का प्रभाव और सुख प्राप्त करने के लिये किसका मर्म जानना चाहिए ?
द्रव्यत्व गुण का मर्म जानना चाहिये ।
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४० २३. सम्यग्दर्शन प्राप्त करना है उसके लिये पर की सेवा करें सम्मेद शिखर जावें, माला जपें, कोई पाठ करें, या व्रत उपवासादि करें तो प्राप्ति हो ?
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जैसे छोटा बच्चा है उसे 'अ आ इ ई' पढ़ाना है वह उसके लिये उपवास करे, दान करें यात्रा करे ग्राप कहेंगे इन कार्यों से 'अ ' पढ़ना नहीं होगा वह 'ग्र ग्रा' का हाथ से अभ्यास करे तो 'ग्र ग्रा' पढ़ना लिखना श्रावेगा; उसी प्रकार सम्यग्दर्शन प्राप्त करने के लिये पर की सेवा करें, सम्मेद शिखर जावें. माला जपें तो उससे सम्यग्दर्शन की प्राप्ति नहीं होगी । एक मात्र अपने ग्रनन्त गुणों के प्रभेद पिण्ड भगवान का आश्रय लें तो द्रव्यत्व गुण के कारण मिथ्यात्व का प्रभाव होकर सम्यग्दर्शन की प्राप्ति हो ।
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प्र० २४. एक गुण में कितनी पर्याय होती हैं ?
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तीन काल के जितने समय उतनी २ पर्याय प्रत्येक गुण की होती हैं ।
प्र ० २५. हमारे जीवन में द्रव्यत्व गुण को समझने से भी कुछ लाभ है ?