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( १२१ ) (६) ज्ञान का विकास ज्ञानगुण से ही होता है किसी शास्त्र
से. गुरू मे, दिव्यध्वनि, कर्म, शुभ भाव से और गुणों से
नहीं आता है। (७) जो पर्याय हुई उसका उसी गुण की पहली पाली पर्याय
मे भी संबंध नहीं है। प्र० १६. श्र नज्ञान से केवल ज्ञान हुना, किस कारण ? उ० द्रव्यत्व गृगग के कारण ।
प्र० १७. द्रव्य को सर्वथा कूटस्थ मानने वाला किस गुगण का मर्म नहीं
जानना ? उ० द्रव्यत्व गुण का मर्म नहीं जानता।
प्र० १८. मिथ्यात्व का अभाव सम्यक्त्व की प्राप्ति किस कारण ? उ० द्रव्यत्व गुण के कारण ।
प्र० १६. संसार का अभाव सिद्ध दशा की प्राप्ति किस गुगण को बताता
उ०
द्रव्यन्व गुरण को बताता है ।
प्र० २०. पात्र जीव द्रव्यत्व गुण से क्या जानता है ? उ० संसार का प्रभाव और मुक्ति हमारे हाथ में है किसी दूसरे के
कारण संसार या मोक्ष नहीं है । प्र० २१. प्रत्येक गुण की पर्याय क्यों बदलती है ?