________________
( १२० )
अपनी २ योग्यता से ही होती है उसमें अंतरंग निमित्त द्रव्यत्व गुरए है और बाहर का निमित्त काल द्रव्य है ।
प्र ० ११. द्रव्य और द्रव्यत्व गुण में क्या अन्तर है ?
उ०
प्र० १२. व गुण को सामान्य गुण क्यों कहा है ?
उ०
Я о
उ०
(१) द्रव्य तो अनंत गुणों का प्रभेद पिण्ड है । ( २ ) और द्रव्य त्व गुण प्रत्येक द्रव्य का सामान्य गुण है ।
Я о
उ०
सव द्रव्यों में पाया जाता है इसलिये सामान्य गुगा कहा है ।
१३. द्रव्यत्व गुण द्रव्य में क्या सूचित करता है ? निरन्तर बदलने को सूचित करता है ।
प्र ० १४. जीव में प्रज्ञान दशा सदैव एक सी नहीं है ? रहती क्या कारण । द्रव्यत्व गुरण के कारण ।
उ०
१५. द्रव्यत्व गुण से क्या क्या समझना चाहिए ?
(१) सर्व द्रव्यों की अवस्थाओं का निरन्तर परिवर्तन उसका अपने कारण से उसी में होता है दुसरा कोई पर द्रव्य या निमित्त कुछ नहीं कर सकता है ।
(२) जीव की कोई भी
पर्याय दूसरे जीवों से प्रजीवों से कर्म
शरीरादि से नहीं बदलती है ।
(३) दूसरे जीवों की, अजीवों की, कमं, शरीर आदि की पर्याय भी मेरे से नहीं बदलती है ।
(४) जीव में प्रज्ञान दशा सदैव एक सी नहीं रहती है ।
(५) पहिले अल्प ज्ञान था बाद में ज्यादा हुआ वह उस समय की योग्यता से ही हुआ है ।