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उ०
द्रव्यत्व गुण का मर्म न जानने के कारगा ।
F. ६. वस्तुत्व और द्रव्यत्व गुण में क्या अन्तर है ? उ० (१) वस्तुत्व गुण द्रव्य गगण में प्रयोजनभूत क्रिया को बतात है और (२) द्रव्यत्व गगा रस प्रयोजनमत क्रिया को "निरन्तर बदलने के बात को बताता है।
प्र० ७. अस्तित्व, वस्तुत्व यौर द्र व्यत्व गुण का क्या रहस्य है ? उ० (१) प्रत्येक द्रव्य अनादिअनंत कायम रहता है (२) कायम रहता हुआ अपनी २ प्रयोजनभूत क्रिया को करता ही रहता है (३) वह क्रिया निरन्तर बदलती रहती है। ऐसा द्रव्य का स्वभाव है । इस बात को जाने तो दृष्टि स्वभाव पर होती है योर पर को बदल दं, पर को कायम रक्खू, किसी के कार्य को करू, किसी के कार्य को बदलाऊं प्रादि खोटी बुद्धियों का प्रभाव हो जाता है ज्ञाता-इटा स्वभाव प्रगट हो जाता है ।
प्र. ८. वस्तु को द्रव्य क्यों कहा है ? उ. द्रव्यत्व गुण के कारण ।
प्र. ९. क्या प्रत्येक गुगण कायम रहता हुया, अपना २ प्रयोजनभूत कार्य
करता हुप्रा, निरन्तर बदलता ही रहता है ? उ० हां ऐसा ही घस्तु स्वभाव है । यह पारमेश्वरी व्यवस्था है।
प्र० १०. प्रत्येक द्रव्य गुण में निरन्तर नई नई पर्याय होती है उसे द्रव्य
त्व गुगा करता है या काल द्रव्य करता है ? उ० प्रत्येक द्रव्य गुण में निरन्तर नई २ पर्याय होती है वह पर्याय