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( ११६ ) रहना है अर्थात् वस्तुत्व गुगण का काल अनादिअनंत है । प्र० ३५. जीव का प्रयोजन क्या है ? उ० दुःख ना हो, सुख हो यही प्रयोजन है। प्र० ३६. अस्तित्व और वस्तुत्व गुगण में क्या अन्नर है ? उ० (१) अस्तित्व गगा अनादिअनंत कायमपने को सूचित कर
है। (२) वस्तुत्व गुण प्रयोजनभूत कार्य को मूचित करता है प्र० ३७. अस्तित्व गुगा और वस्तुत्व गुग जानने का क्या लाभ है ?
प्रत्येक द्रव्य कायम रहता हुया अपना अपना प्रयोजन कायं करता ही रहता है तब मेरा प्रयोजनभूत कार्य ज्ञात दृष्टा है ऐसा अनुभव करे तो अस्तित्व गुगा, वस्तुत्व गुण व जाना।
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प्र० ३८. प्रयोजन भूत कार्य कितने हैं ? उ० जाति अपेक्षा छः हैं । प्र० ३६. संख्या अपेक्षा प्रयोजनभूत कार्य कितने हैं ? उ) जिनन गुगण हैं उतने ही एक समय में प्रयोजनभूत कार्य हैं। प्र० ४०. अस्तित्व गुग्ग बड़ा या वस्तुत्व पुराग । उ० दोनों समान हैं क्योंकि प्रत्येक गुण द्रव्य के बराबर होता है । प्र० ४१. अनादिअनंतपना वस्तुत्व गुण सिद्ध करता है ना? उ. बिल्कुल नहीं; अनादिअनंतपना तो अस्तित्व गुण सिद्ध कर
है वस्तुत्व गुण नहीं।