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अभाव होकर अपना हो करना भोगना का अनुभव ज्ञान
रमता होना। (३) मियात्व का प्रभाव मभ्यग्दर्शन की प्राप्ति । (४) अपने अन्दर अपूर्व गान्ति की प्राप्ति होना । (५) मान को पोर अग्रसर होना । (६) के पलो के मनान जान -ष्टा की प्राप्ति वस्तुत्व गुण को
जानने का लाभ ।।
प्र० १६. जिनको सम्यग्दर्शन नहीं है क्या उगने वस्तुत्व गुगण को नहीं
जाना ? उ० नहीं जाना, क्योंकि अाने बाप को जाने विना अरण्यरोदन है । प्र. २०. यास्त्रों में पाता है यह जीव अनंत बार ११ अंग ६ पूर्व का
पाठी बना और सम्यग्दर्शन की प्राप्ति नहीं हुई तो क्या उसे
भी वस्तुत्व गुग का रस्य पता नहीं है ? उ० हांगरे भी वस्तु व गुगा को नहीं जाना । प्र० २१. क्या द्रव्यलिंगी मुनि ने वस्तुत्व गुग्ग का रहस्य नहीं जाना ? उ० नहीं जाना क्योंकि श्री कुन्दकुन्द भगवान ने द्रव्यलिंगी मुनि को
संमार का नेता कहा है और मोक्ष मार्ग प्रकाशक में द्रव्यलिंगी
मुनि को मिथ्याइष्टि असंयमी पापी कहा है। प्र. २२. समयसार गा० २७३ में जिनेन्द्र भगवान के कहे अनुसार
बन समिति आदि का पालन किया क्या उगने भी वन्तुन्य गुगण का रहस्य नहीं जाना ?