________________
उ०
( १११ )
( १ ) ज्ञान गुण का प्रयोजनभूत कार्य मतिज्ञानादि ८ प्रकार का है।
(२) चारित्र गुण का प्रयोजनभूत कार्य शुद्ध और अशुद्ध दो
प्रकार का है।
(३) स्पर्श गुग्गा का प्रयोजनभूत कार्य आठ प्रकार का है। (४) रस गुण का प्रयोजनकार्य ५ प्रकार ह
(५) गतिहेतुत्व का प्रयोजनभूत कार्य उसका समय २ परिण मन हैं ।
(६) श्रद्धा गुण का प्रयोजनभूत कार्य मिथ्यात्व सम्यक्त्व रूप है |
(७) त्रिगुण का प्रपोज
कार्य उसकी पर्याय है ।
1
(८) दर्शन गुगण का प्रयोजनकार्य चार प्रकार का है। (2) गंगा का प्रयोजन भनवार्य दो प्रकार का है। (१०) वर्ष गुरु का प्रयोजनभत कार्य ५ प्रकार का है। (११) क्रियावती शक्ति का प्रयोजनभत कार्य दो प्रकार का (१२) वाह गुण का कार्य परिणमन में अब न रूप होना है।
है
1
प्र० १४. (१) मतिज्ञान (२) सम्यग्दर्शन (३) केवलज्ञान (४) खट्टा (५) गर्म (६) काला (2) गुगन्ध (=) चिकना ( 2 ) शुभ (१०) युद्ध (११) केवलदर्शन यह प्रयोजन भूत कार्य किस २ गुगा का है ?