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________________ До उ० Я с उ० ( ११० ) कहते हैं ? ९. द्रव्य को वस्न वस्तुत्व गुण के कारण । प्र० १० गोमट्टसार में वस्तु किसे कहा है ? उ० ( गौमट्टसार जीव काण्ड गा० ६७२ को टीका में) ( 2 ) जिसमें गुग्गा पर्याय बसते हैं उसे वस्तु कहा है । (२) जिसमें सामान्य विशेष स्वभाव हो उसे वस्तु कहते हैं । (३) प्रत्येक द्रव्य अपना अपना प्रयोजनभूत कार्य करता है इसलिए प्रत्येक द्रव्य को वस्तु कहते हैं । ११. वस्तु क्या सूचित करती है ? प्रत्येक वस्तु 永 गुण पर्याय अपने में ही बसते हैं एक दूसरे में नहीं । प्र० १२. प्रत्येक वस्तु के गुण पर्याय अपने में ही बसते हैं एक दूसरे में नहीं इससे, हमको क्या लाभ है? उ० मेरे गुण पर्याय मेरे में ही बसते हैं शरीर से अथवा पर द्रव्यों में नहीं बसते, ऐसा जानकर अपने गुण पर्याय रूप प्रभेद वस्तु है उसका आश्रय ले तो धर्म की प्राप्ति हो । प्र० १३. ( १ ) ज्ञान गुण (२) चारित्र गुरण ( ३ ) स्पर्श गुण ( ४ ) रस गुरण (५) गतिहेतुत्व गुरण ( ६ ) श्रद्धा गुण ( (७) अस्तित्व गुण ( ८ ) दर्शन गुण (६) गंध गुण (१०) वर्ण गुरण ( ११ ) क्रियावती शक्ति ( १२ ) अवगाहन - हेतुत्व आदि गुणों का प्रयोजनभूत कार्य क्या २ है ?
SR No.010116
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages219
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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