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(३) श्रुत ज्ञान का प्रभाव, केवल ज्ञान की प्राप्ति, ज्ञान गुण
कायम |
प्रत्येक गुण में एक एक समय में उत्पाद, व्यय, धीव्य हुआ है, होता रहेगा धोर हो रहा है ऐसा वस्तु स्वभाव है ।
प्र० २६ ( १ ) चारित्र ( २ ) ज्ञान गुग्गा ( ३ ) आयिक सम्यक्त्व ( ४ ) गति हेतुत्व गुण (५) गंध (६) वर्गा (७) मीठा (८) ठंडा (8) चारित्रमोहनीय का प्रभाव (१०) ज्ञानावरण का प्रभाव ( ११ ) श्रुतज्ञान की प्राप्ति प्रादि में उत्पाद व्यय धौव्य लगाओ ?
उ०
( १ ) चारित्र गुण कायम, पहली पर्याय का व्यय, नई पर्याय
का उत्पाद |
(२) ज्ञान की पहली पर्याय का व्यय, नवीन पर्याय की उत्पत्ति ज्ञान गुण ध्रुव ।
(३) क्षयोपशम सम्यक्त्व का व्यय, क्षायिक सम्यक्त्व का उत्पाद श्रद्धा गुण ध्रुव ।
( ४ ) पहली पर्याय का व्यय, दूसरी पर्याय का उत्पाद, गति हेतुत्व गुण घ्र ुव ।
(५) सुगंध का ध्यय, दुर्गंध का उत्पाद, गंध गुण ध्रुव (६) काले का व्यय, सफेद का उत्पाद, वर्ण गुण ध्रुव । (७) खट्टे का व्यय, मीठे का उत्पाद, रस गुगा ध्रुव । (८) गर्म का व्यय, ठंडे का उत्पाद, स्पर्श गुण ध्रुव । (e) चारित्र मोहनीय के क्षयोपशम का व्यय, चारित्र मोहनीय
के क्षय का उत्पाद, कार्मारण वर्गरणा ध्रुव ।