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( ६३ ) उ० उत्पाद व्यय ध्रौव्य सहित हो उसे मत् कहते हैं। इसलिये प्रत्येक द्रव्य में अपने ही कारण पर्याय अपेक्षा नई अवस्था की उत्पत्ति, पूर्व पर्याय का व्यय और द्रव्य की अपेक्षा प्रौव्य रहना ऐसी स्थिति प्रत्येक द्रव्य और गुग में त्रिकाल हो रही है। प्र० २५. क्या उत्पाद व्यय ध्रौव्य का सनय गृथक पृथक है ? उ० तीनों का समय एक ही है आगे पीछे नहीं । प्र. २६. क्या प्रत्येक द्रव्य में और गण में उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य त्रिकाल
होता है ? हां प्रत्येक द्रव्य और गुगा में उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य. त्रिकाल
होता है। प्र० २७. द्रव्य के उत्पाद व्यय ध्रौव्य को समझायो ?
(१) मनुप्य पर्याय का अभाव, देवपने की प्राप्ति, आत्मा
कायम । (२) अयोगी दगा का प्रभाव, सिद्ध दशा की प्राप्ति, प्रात्मा
कायम । (३) ग्राम में ग्वट्ट पने का प्रभाव, मीटेपने की प्राप्ति, प्राम
कायम ।
इसी प्रकार समझ लेना। प्र० २८. गुण में उत्पाद, व्यय, धौव्य एक २ समय में किस प्रकार हैं ? उ० (१) मिथ्यात्व का अभाव, सम्यक्त्व की प्राप्ति, श्रद्धा गुण
कायम । (२) ठंडे का अभाव, गर्म की उत्पत्ति, स्पर्श गुग्ग कायम ।