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________________ ( ६२ ) का नाश नहीं होता तो कर्म जगत का नाश करता है यह बात अपत्य है। प्र० १७. अम्नित्व गुग को जानने का बड़ा पांचवा लाभ क्या रहा ? उ० (१) अनादिकाल की पर में करने कराने की. भोक्ता-भोग्य की बुद्धि का प्रभाव हो गया। (२) मिथ्यात्व का प्रभाव सम्यग्दर्शन की प्राप्ति यह पांचवां लाभ है। प्र० १८. अस्तित्व गूगग कितने हैं ? उ० जिनने द्रव्य हैं उतने अस्तित्व गुगा हैं। प्र. १६. जितने द्रव्य हैं उतने अस्तित्व गगा क्यों हैं ? उ० प्रत्येक द्रव्य में एक एक अस्तित्व गुण होने से जितने द्रव्य हैं उतने अस्तित्व गुरग हैं। प्र० २०. द्रव्य का लक्षणा 'सत्' क्यों कहां ? उ० अस्तित्व गुगग के कारण । प्र० २१. मैं हमेशा रहूंगा या नहीं ऐसी शंका वाला क्या भूलता है ? उ। अस्तित्व गुगण को भूलता है । प्र० २२. अस्तित्व गुगा की अपेक्षा छहों द्रव्यों को क्या कहते हैं ? उ0 सत् कहते हैं। प्र० २३. सत् क्या है ? उ० द्रव्य का लक्षण है । (मत् द्रव्यलक्षगगम्' तत्वार्थ मूत्र पांचवाँ अध्याय सूत्र २६) प० २४. सत् किसे कहते हैं ?
SR No.010116
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages219
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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