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जैन शिलालेख संग्रह ब. दुकस वायकस सिसिनिए सादिताए नि ..."
अनुवाद-भगवान् वृषम (उसम) को नमस्कार हो । वारण गण, नाधिक कुल तथा..............के वाचक....तुककी शिष्या सादिताके भादेशसे...........
[ El, II, n° XIV, n° 28]
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मथुरा-प्राकृत।
[विना कालनिर्देशका] स्थ [1]निकिये कुले गनिस्य उग्गहिनिय शिषो वाचको घोषको आहेतो पर्श्वस्य प्रतिमा
अनुवाद-"स्थानिकिय (कीय) कुलके गणि (गणिन् ) उग्गहिनिके शिष्य पाचक घोषकने एक अर्हत् पार्थको प्रतिमा...
[E), II, n XIV, n° 29]
मथुरा-प्राकृत-भग्न ।
[विना कालनिर्देशका] अ. वर्धमानपटिमा वजरनद्यस्य धिता वाधिशिव... १.-1 - स्य- कुटीबिनि दिनाये दाति बडिम [शि] ये.... २................ अनुवाद-"वजरमय (वनमन्दिन) की पुत्री, वाधिशिव (सद्धिशिव?) की बह, ... की पक्षी दिना (दत्ता) के दानके रूपमें एक वर्धमानकी प्रतिमा ... ... बडिमशिक......
[EL, II, D° XIV, D° 33]