________________
अलब्धपर्याप्तक और निगोद ]
[ ३७
इसका हिन्दी अर्थ इस प्रकार है - निगोद मे जीव अनन्तकाल तक रहता है इससे क्या निगोद की इतनी आयु होती है ? इसका उत्तर है कि यहां आयु 'परिहीन' पाठ का अर्थ है - एक उच्छ्वास के १८ वें भाग प्रमाण अन्तर्मुहूर्त की स्वल्पायु निगोद की होती है ।
( २ ) बनारसी विलास ( वि० स० १७०० ) के कर्मप्रकृति विधान प्रकरण मे
एक निगोद शरीर में, जीव अनन्त अपार । धरें जन्म सब एकठें मरहिं एक ही बार ॥ ६५ ॥ मरण अठारह वार कर, जनम अठारह बेव, एक स्वास उच्छ्वास से, यह निगोद को टेव ॥ ६६ ॥ ( ३ ) बुधजन कृत - "छहढाला” ढाल २
जिस दुख से थावर तन पायो वरण सको सो नाहि । बार अठारह मरा औ, जन्मा एक श्वास के माँहि ॥ १ ॥
(४) दौलतराम जी कृत — छहढाला
काल अनंत निगोद मंझार, बोत्यो एकेन्द्रीतनधार ॥ ४ ॥ एक श्वास में अठदस बार, जन्म्यो मर्यो भर्यो दुखभार ॥
(५) दौलत विलास - - ( पृष्ठ ५५ )
सादि अनादि निगोव दोय में पर्यो कर्मवश जाय । स्वांस उसास मशार तहाँ भवमरण अठारह थाय ॥
( ६ ) द्यानतराय जी कृत पद संग्रह --
ज्ञान बिना दुख पाया रे भाई ।
भौवस आठ उसांस साँस मे साधारण लपटाया रे, भाई