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परकाया प्रवेश, एक सत्य घटना ]
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लेकिन अभी कुछ देर पहिले तो तुम शव थे, पानी मे बह रहे थे, एक बुड्ढा तुम्हे पानी मे से खीचकर किनारे पर ले गया या फिर तुम प्रकट हो गये यह रहस्य क्या है ? यदि तुम्ही वह वृद्ध हो तो उस वृद्ध का शरीर कहाँ है ?
युवक ने सन्तोष के साथ बताया कि हम योगी हैं । हमारा स्थूल शरीर वृद्ध हो गया था, काम नही देता था । अभी इस पृथ्वी पर रहने की हमारी आकाक्षा तृप्त नही हुई थी । किसी को मारकर बलात् शरीर मे प्रवेश करना तो पाप होता इसलिये बहुत दिन से इस प्रतीक्षा मे था कि कोई अच्छा शव मिले तो उसमे अपना यह पुराना चोला बदल ले । सौभाग्य से यह इच्छा आज पूरी हुई । मैं ही वह वृद्ध हू । यह शरीर पहिले उस युवक का था अव मेरा है । इस पर फैरेल ने प्रश्न किया तब फिर तुम्हारा पहला शरीर कहाँ है
?
सकेत से उस युवक शरीर मे प्रवेश धारी सन्यासी ने बताया - वह वहां पेड के पीछे अब मृत अवस्था मे पडा है । अब उसकी कोई उपयोगिता नही रही। थोडी देर बाद उसका अग्निस्कार कर देने का विचार था पर अभी तो इस शरीर के कपडे भी मैं नही मुखा पाया था कि आपके इन सैनिको ने मुझे चन्दी बना लिया |
श्री फैरेल ने इसके बाद उस संन्यासी से बहुत सारी बातें हिंदू-दर्शन के बारे मे पूछी और बहुत प्रभावित हुए। वे यह भी जानना चाहते थे कि -स्थूल शरीर के अणु २ मे व्याप्त प्रकाश शरीर (चैतन्य) के अणुओ को किस प्रकार समेटा जा सकता है ? किस प्रकार शरीर से बाहर निकाला और दूसरे शरीर मे