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जैन धर्म श्रेष्ठ क्यो है? ]
[ ३८३ हुए हैं। प्राचीन कनडी के लेखो मे जैनियो के लेख बहुत अधिक हैं, क्योकि उत्तर कर्णाटक, दक्षिण कर्णाटक, और मैसूर राज्य मे जैनियो का निवास प्राचीन काल से है | उत्तर भारत मे जो सस्कृत और प्राकृत भाषा के लेख मिले है, वे प्राचीनता और उपयोगिता की दृष्टि से बहुत महत्व के है , इन लेखो मे जैन लेखो की संख्या अधिक है, इन सब मे कुछ लेख तो २२०० वर्ष तक के पुराने हैं , ये लेख भारत के इतिहास के लिये भी बहुत सहायक है। बहुतसे राजाओ का पता तो केवल जैनियो के ही, लेखो से लगता है। जैसे --कलिंग (उडीसा) का राजा खारवेल ।' अगर जैन लेख प्रशस्ति न होती तो आज विख्यात कवि "भारवि" के समय का पता लगाना भी मुश्किल हो जाता *.
__ तथा यह बात प्राय सभी जानते है कि जैनियो की कितनी ही मूर्तियाँ कितने ही स्थानो मे जमीन खोदते वक्त मिलती रही है, उनमें से कतिपय तो बहुत ही प्राचीन हैं, बल्कि कुछ मूर्तियां तो यहां के कडी के जैन मन्दिरो मे भी विराजमान है जो धनोप (जिला शाहपुरा मेवाड) की खुदाई में मिली थी। क्या इस प्रकार जमीन के अन्दर हिंदुस्थान मे चारो तरफ जैनियो के शिलालेखो और विशालकाय मूर्तियो का निकलना अच्छी प्रकार साबित नहीं करता कि जैन धर्म एक बहुत ही प्राचीन धर्म है जो किसी समय सर्वत्र विस्तृत था।
साहित्य-सम्पदा जैन साहित्य समुदाय भी कम महत्व का नहीं है।
★ देखो महावीर प्रसाद द्विवेदी लिखित हिंदी किरातार्जुनीय की इण्डियन प्रेस इलाहाबाद में मुद्रित भूमिका पृष्ठ २ से ६ तक ।