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[ ★ जैन निवन्ध रत्नावली भाग २
४ कौमुदी ५ पदार्थ कौमुदी ६. शब्दार्थ सदीपिका ७ अमर पजिका अमर दीपिका ६ सुबोधिनी १० व्याख्या सुधा ११ शारदा सुन्दरी १२ विन्मनोहरा १३ अमर विवेक १४ मधु माधवी १५ पद चन्द्रिका १६ त्रिकाड चिन्तामणि १७ त्रिकाड विवेक
२० वैषम्य कौमुदी
१६ पीयूप २२ पदमजरी २५ टीका सर्वस्व
२३ व्याख्यामृत
२४ मन्देह भजिका
२६ अमरकोप टीका ( आशाधर कृत) २७ त्रिकाड रहस्य २८. अमर चंद्रिका आदि ।
१५ प्रदीप मजरी २१ पद विवृति
इनके अतिरिक्त - कनडी, काश्मीरी, चीनी, फारसी, तिब्बती, तेलगु, मराठी, ब्राह्मी, श्यामी, सिंहली, अग्रेजी, हिन्दी, गुजराती, उर्दू, आदि भाषाओ मे भी अमरकोप पर टोका बनी हैं। "कवि काव्यकाल कल्पना" नाम के बृहद् ग्रन्थ मे अमरकोप की ६६ टीकाओ का विवरण दिया है ।
विविध प्राचीन ग्रंथो की संस्कृत टीकाओ मे इस कोष के अनेक जगह प्रमाण दिये गये हैं । इसका पठन पाठन संस्कृत की प्राय. सभी पाठशालाओ मे अद्यावधि चला आ रहा है । यह सव इस कोश की महान लोकप्रियता का द्योतक है । इसी से-कवियो ने ये उद्घोष किये हैं- " अमरोऽयं सनातन 33 ' " अमरकोपो जगत्पिता" ।
अमरकोप मे बौद्ध और वैदिक धर्म के अवतारी पुरुषो के नाम हैं किन्तु जैन तीर्थंकरो के कोई नाम नही है | ग्रन्थकार वहुत उदार रहे हैं । (उन्होने मगलाचरणमे भी किसी धर्माराध्य का नाम नही दिया है ) फिर उन्होने जैन महापुरुषो के नाम