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भगवान् महावीर तथा अन्यतीर्थंकरों के वंश
आदिपूगण पर्व १६ श्लो. २५६ से २६१ मे लिखा है कि"ऋषभदेव ने हरि, अकपन, काश्यप और सोमप्रभ इन चारों क्षत्रियों को बुलाकर उन्हें महा-मांडलिक राजा बनायै । हरि का हरिकात नाम हआ उमसे हरिवश चला। अकपनका श्रीधर नाम हुआ उससे नाथवंश चला (१) काश्यप का मघवा नाम हुमा उससे उग्रवंश चला और कुरुदेश का राजा सोमप्रभ अपना कुरुराज नाम पाकर उसने कुरुवंश चलाया।" (मोक्ष शास्त्र के "आर्याम्लेच्छाश्च" सूत्र की श्रुतसागरी वृत्ति में भी इसका अच्छा खुलासा है)
इसी पर्व के श्लो. २६५-२६६ मे लिखा है कि- "गो का अर्थ स्वर्ग हैं। उत्तम स्वर्ग से आने के कारण श्री ऋषभदेव गौतम कहलाते थे और काश्य कहिये तेज को रक्षा करने से वे काश्यप भी कहलाते थे।"
(१) इसी से मादि पुराण पर्व ४३ श्लोक २:३, ३३६ तथा पर्व ५४ प्रलोक ४५ मे मकम्पन को नाथवश का अग्रणी लिखा है।