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जैन धर्म में नाग तर्पण
नागतर्पण शब्द सुनकर शायद हमारे जैनोभाई चोकेगे कि जैनधर्म मे नागतर्पण कैमा ? उन्हें जानना चाहिये कि हमारे जैनशास्त्र भण्डारो मे जहा एक ओर अमूल्य शास्त्ररल भरे है तो दूसरी ओर काचखण्ड भी रो है । आश्चर्य इस बात का है कि हमारे कुछ संस्कृत के धुरन्धर विद्वानो ने भी इन काचखण्डों को अपनाया है ।
जयपुर से पहिले अभिषेक पाठ सग्रह नाम से एक ग्र प्रकाशित हुआ था | उसमे जिन अभिषेक पाठों का संग्रह किया है उनके कुछ मुख्य रचयिताओ के नाम इस प्रकार हैं
पूज्यपाद, गुण मद्र, सोमदेव, अभयनन्दि, गजाकुश, आशावर. अय्यपार्य, नेमिचन्द्र और इन्द्रनन्दी | यहाँ यह ध्यान मे रखना चाहिये कि पूज्यपाद, गुणभद्र, नेमिचन्द्र आदि नामवाले जो प्रसिद्ध आचार्य हमारे यहाँ हुए हैं के ये नही हैं । उन नाम के ये कोई दूसरे ही हैं । पूर्वोक्ति रचयिताओं मे से एक गजाकुश को छोड़कर बाकी सभी ने अपने २ अभिषेक पाठो मे नाग तर्पण लिखा है । प० आशाधर जी ने अपने बनाये "नित्य - महोद्योत ' नाम के अभिषेक पाठ मे नागतर्पण इस प्रकार लिखा है ।
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