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भट्टारक सकलकीर्तिका जन्मकाल :
विक्रम की १५ वी शताब्दि मे ईडर की गद्दी के सस्थापक मकलकीर्ति नाम के एक प्रसिद्ध भट्टारक हो गये है । जिन्होने संस्कृत मे ४० करीब जैन शास्त्रो की रचना की है । इनके गुरु पद्मन'द भट्टारक थे। इन पद्मनदि के शिष्यो मे शुभचन्द्र, देवेन्द्रकत और सकलकीति ये तीन प्रमुख शिष्य थे ।
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उक्त पद्मनदि की गुरुपरपरा में वि०स० १२७१ मे धर्मचन्द्र भट्टारकी पद पर आरूढ हुये थे । वे हूमडजाति के थे और २५ वर्ष तक पट्ट पर रहे। उनके वाद वि० सं० १२६६ मे धर्मचन्द्र के पट्ट पर रत्नकीर्ति बैठे । ये भी हूमडजाति के थे । ये १४ वर्ष तक पटट पर रहे। उनके बाद बि० स० १३१० मे दिल्ली में रत्नकीर्ति के पट्ट पर प्रभाचन्द्र वंठे । ये ब्राह्मण जाति के थे । ये ७५ वर्ष तक पट्ट पर रहे । तत्पश्चात् वि० स १३८५ पौष शुक्ला ७ को प्रभाचन्द्र के पट्ट पर वही दिल्ली मे पद्मनदि बैठे। ये ६५ वर्ष और १ = दिन तक पटट पर रहे । ये भी ब्राह्मण जाति के थे। इन्होंने अपनी १५ वर्ष और ७ मास की उम्र मे ही दीक्षा ले ली थी । दीक्षा के १३ वर्ष और ५ मास बाद ये पट्टारूढ हुये थे । कुल आयु इन्होने ६४ वर्ष की पाई । इस उल्लेख से यह प्रकट होता है कि - पद्मनदि का पट्टकाल स० १४५० तक रहा । यही समय उनके स्वर्गवास का समझना