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सिद्धान्ताध्ययन पर विचार ]
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मूलाचार पचाचाराधिकार की गाथा ८२ में कहा है कि सम्यग्दर्शनादि चार आराधनाओ का प्रतिपादक ग्रन्थ, सत्रह प्रकार के मरण निरूपक ग्रन्थ, पच सग्रह ग्रन्थ, स्तोत्र ग्रन्थ आहार दि के त्याग का उपदेशक ग्रन्थ सामायिकादि षढावश्यक प्ररूपक और महापुरषो का चरित्र वर्णन करने वाली धर्मकथा इस तरह के ग्रन्थ बिना कालशुद्धि आदि के भी पढने योग्य माने गये है। (कालशुद्धि आदि का वर्णन इसी पंचाचाराधिकार मे है सो वह से देख लें।
पट्खण्डागमभाग ६ मे भी इन ग्रथों को पढने के अधिकार और विधि का विशेष वर्णन है देखो पृ० २५५ से २७५ तक
जगमोहन लाल शास्त्री
सदक