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राजा श्रेणिक या बिम्बसार का आयुष्य काल ] [ ११५ ७२ वर्ष की हो जाती है। फिर सयमकाल की समाप्ति के बाद सत्यकि पुत्र का कैलाश पर पहुँच कर वहाँ विद्याधर कन्याओ को ब्याहने और एक-एक करके उन कन्याओ के मरने पर अत मे विशिष्ट विद्याधर कन्या के साथ रमण करते हुए भगवान महावीर तक पहुँच कर उन पर उपसर्ग करने मे भी ज्यादा नही एक वर्ष भी गिन ले और महावीर को उनकी उम्र के ४२ वें वर्ष मे केवलज्ञान हुआ उसी वर्ष मे ही यह उपसर्ग भी मान ले तो इसका यह अर्थ हुआ कि महावीर को जब केवल ज्ञान पैदा हुआ तव राजा श्रेणिक की उमर लगभग ७३ वर्ष की थी। अर्थात् महावीर से श्रेणिक ३१ वर्ष बडे थे । इस हिसाब से जब श्रेणिक ने चेलना से विवाह किया तब श्रेणिक ३६ वर्ष के थे और महावीर ५ वर्ष के थे । इतिहास मे महावीर और गौतम बुद्ध को समकालीन माना जाता है । अत. उस वक्त गौतम बुद्ध भी बालक ही माने जायेंगे ऐसी हालत मे उस वक्त हम श्रेणिक को बौद्धमती भी नहीं कह सकते हैं । बौद्ध धर्म के चलाने वाले खुद गौतम ही जब उस वक्त बालक थे तो उस समय बौद्धधर्म कहा से आयेगा ? अगर हम इतिहास की गडबडी से बुद्ध और महावीर की वय मे १०-१५ वर्ष का अन्तर भी मान ले तब भी श्रेणिक के समय मे बौद्ध मत का सद्भाव नही था। इसीलिये हरिषेण कथाकोश मे श्रेणिक को भागवतमत (वैष्णवमत) का बताया है) वंह ठोक जान पडता है । तथा महावीर का निर्वाण उनकी ७२ वर्ष की वय मे हुआ माना जाता है अत महावीर से
- ) पुण्याअवस्था कोश मे भी वैष्णव धर्मी ही बताया है। देखो पृष्ठ ४१.४३ अ नेमिदत्त के आराधना कथा कोथ मे भी वैष्णव (भागवत) धर्मी ही श्रेणिक को बताया है ।