________________
११६ ] [ * जैन निवन्ध रत्नावली भाग २ ३१ वर्ष बडे होने के कारण श्रेणिक की उम्र वीर निर्वाग के बक्त १०३ वर्ष की माननी होगी। उम्र का यह टोटल यहाँ कम लगाया गया है, इससे अधिक भी सभव हो सकता है वीरनिर्वाण के वक्त श्रेणिक जीवित थे कि नही थे यह उत्तरपुराण से स्पष्ट नही होता है। किन्तु हरिवशपुराण मे वीरनिर्वाण के उत्सव मे श्रेणिक का शरीक होना लिखा है । और हरियण कथाकोण में कया न०:५५ मे श्रेणिक का अतकाल वीर निर्वाण से करीव ॥ वर्प वाद होना बताया है। यथा . -
ततो निर्वाणमापन्ने महाबोरे जिनेश्वरे। . तित्रस्समाश्चतुर्थस्य कालस्य परिकोतिता ॥३०६॥ तथा मासाष्टकं ज्ञेय षोडशापि दिनानि च। “एतावति गते काले नूनं दुखमनामनि ॥३०७।। पूर्वोक्त. श्रेणिको राजा सोमत नरक ययौ ॥३०८।।
अर्थ-महावीर के निर्वाण के बाद चतुर्थकाल के ३ वर्ष ८ मास १६ दिन व्यतीत होने पर दु खम नाम के पाचवे काल मे मनवाछित महाभोगो को भोग कर राजा श्रेणिक मर कर प्रथम नरक के सीमत विल मे गया ।
उक्त १०३ वर्ष मे वीर निर्वाण के बाद ये ३।।। वर्ष जोडने पर श्रेणिक की कुल आपु १०७ वर्ष करीव की बनती है।
- 1 उत्तरपुराण मे चतुर्थकाल की समाप्ति मे ३ वर्ष ८॥ मास शेप रहने पर वीरनिर्वाण होना लिखा है । यहाँ ३ वर्ष ८ मास १६ दिन इसलिये लिखा है कि १६ वें दिन 'पचम काल का प्रारभ होता है और उसी दिन मे श्रेणिक की मृत्यु हुई है।