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चामुण्डराय का चारित्रसार ]
स० नोट - कटारिया जी का यह लेख विचारणीय है । इस "चारित्रसार" के संग्रह ग्रथ सिद्ध होने पर भी मैं समझना है कि पाठको की दृष्टि में विद्वद्वरेण्य चामुण्डराय जी का पाण्डित्य खटक नहीं सकता। क्योंकि इनके द्वारा रचित आजतक के उपलब्ध कन्नड. गद्य ग्रन्थो मे सर्वप्रथम 'आदिपुराण" ही इनकी विद्वत्ता का ज्वलन्त दृष्टान्त है। इसके अतिरिक्त यह भी निविवाद सिद्धान्त है -एव विज्ञ कटारियो जो भी सर्वर्था सहमन होगे कि हमारे यह कामुण्डराय जी सस्कृत के भी अच्छे ज्ञाता थे । इस चरित्रसार मे जिस प्रकार इन्होने राजवातिकादि ग्रन्थों से प्रचुर सहायता लेकर उसका उल्लेख नही किया है उसी प्रकार अपने कन्नड आ िपुराण में भी बीच बीच मे प्रस्तुत विषय को प्रमाणिता करने के लिए चामुण्डराय ने भिन्न भिन्न अन्धो के कई सस्कृत प्राकृत पद्यो को उद्धृत किया है। पर वहां भी उनका उल्लेख नही करने से कुछ विद्धानों ने उन पद्यो को इन्ही की रचमा समझ रक्खा था । इसो भ्रम को दूर करने के लिए मैने विवेकाभ्युदय" (मर्मसूर) के एक लेख में सप्रमाण सिद्ध कर दिया है कि ये पर्छ अमुक अमुक ग्रंथ के हैं।"
, के बी० शास्त्री