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राजा श्रेणिक या बिम्बसार
का आयुष्य काल जैन शास्त्रो मे गजा श्रेणिक की आयु के विषय में कहीं कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिलता है कि उनकी कितनी आयु, थी। तथापि उनके कथा प्रसगो से उनकी आयु का पता लगाया जा सकता है। इस लेख में हम इसी पर चर्चा करते हैं -
उत्तरपुराण के ७४ वै पर्व में राजा श्रेणिक का चरित्र निम्न प्रकार बताया है - ' "राजा कुणिक की श्रीमती राणी से श्रेणिक नाम का पुत्र हुआ। राजा के और भी बहुत से पुत्र थे। राजा ने एक दिन सोचा कि इन सब पुत्रो मे राज्य का अधिकारी कौन पुत्र होगा? निमित्तज्ञानी के बताये निमित्तो से राजा को निश्चय हुआ कि एक श्रेणिक पुत्र ही मेरे राज्य का उत्तराधिकारी बनेगा। तव राजा ने दायादो से श्रेणिक की रक्षा करने के लिए श्रेणिक पर बनावटी क्रोध करके उसे नगर से निकाल दिया। वहां से निकलकर श्रेणिक दूर देश में जाने की इच्छा से चलता हुआ नन्दिग्राम मे पहुचा। किन्तु नन्दिग्राम के निवासियो ने राजाज्ञा के भय से राजकुमार श्रेणिक को कोई आश्रय नहीं दिया। इससे नाराज हो श्रेणिक आगे बढा। रास्ते मे उसे एक ब्राह्मण का साथ हुआ । उससे प्रेमपूर्वक अनेक बातें करता हुआ श्रेणिक उस ब्राह्मण के