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में यह पार व्यवहत है। बीसवीं शती के सेवक' ओर होरा रचित नामों में भी मह फल अध्य-सामग्री के लिए प्रयुक्त है।
कथा-एक फल विशेष जिम्का कपित्य अपर नाम है।' उन्नीसवीं शती के मनरंगलाल विरचित 'श्री धर्मनाथ जिनपूजा तथा बखताबररत्न जीत 'मी ऋषमनाथ जिनपूजा' नामक पूजाओं में यह फल कपित्थ, कॅब संज्ञामों के साथ प्रयुक्त है।
खराज-भारतीय खरीफ फसल का फल विशेष। उन्नीसवीं शती के विवेच्य काव्य में मनरंगलाल द्वारा इस फल का व्यवहार मा है।
छहारा-खजूर का एक भेद जो रेगिस्तानी प्रदेशों में होता है उसका सना रूप ही छुआरा है। पूजाकाव्य में अठारहवीं शती से इस फल के अभिवर्शन होते हैं। इस शती के कवि व्यानतराय कृत 'श्री रत्नत्रयपूजा और 'श्री सरस्वती पूजा" नामक पूजाओं में यह फल अध्यं सामग्री के लिए व्यबहत है । उन्नीसवीं शती के कवि मनरंगलाल° और बीसवीं शती के
१. श्रीफल और बदाम सुपारी,
केला बादि छुबारा ल्याम ।
-श्री आदिनाप जिनपूजा, सेवक, जैन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ६६ । २. श्री चतुर्विशति तीर्थकर समुच्चयपूजा, हीराचन्द, नित्य नियम विशेष
पूजन सग्रह, पृष्ठ ७३ । ३. बृहत् हिन्दी कोश, पृष्ठ ३१५ । ४. चिरभट आम्र पनस दाडिम ले दाख कपित्थ विजोरें।
-श्री धर्मनाथ जिनपूजा, सत्यार्थयज्ञ, पृष्ठ १०६ । ५. ऐला सकेला आम्र दाडिम कथ चिरभट लीजिए।
-श्री ऋषभनाथ जिनपूजा, बख्तावररत्न, चतुर्विशतिजिनपूजा, पृष्ठ
६. खरबूज पिस्ता देवकुसुमा नवम पुगी पावनी ।
-श्री नेमिनाय जिनपूजा, मनरगलाल, सत्यार्थवा, पृ. १५५ । ७. बृहत् हिन्दी कोश, पृष्ठ ४७५ । ८. फल शोभा अधिकार, लोंग छहारे जायफल ।
-श्री रलत्रयपूजा, द्यानतराय, जैनपूजा पाठ संग्रह, पृष्ठ ७० । ६. श्री सरस्वती पूजा, दयानतराय, राजेश नित्य पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ३७६ । १०. फल माम नारंगी केरा, बादाम छहार धनेरा।।
श्री वासुपूज्यजिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थयज्ञ, पृष्ठ ८७ ।