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इलायची-एक सुरक्षित कल मिस नेपाल साल का मावि के काम माते हैं। इसे एला भी कहते हैं। यहाँ मौसी सती के प्रजाकार मनरंगलास', बतावरत्न' और रणवन' ऐला. लायची संसायों के सायास पाल का व्यवहार किया है। बीसवीं शती पी पिच फुमार महामुनिपूजा' नामक पूना रसमा में सायची संका में पहल प्रयुक्त है।
फेला-भारतीय संस्कृति में माम की पति यह कल भी नागलिक माना जाता है । उन्नीसवीं शती के कविवर मनरंगलाल', सावरल', समय और मल्लीवारा रचित पूजाकाव्य में मोष, कबली, केला नामक संमाबों
१. बहतु हिन्दी कोड, पृष्ठ २२४ । २. जातिफल एला फल मे केला, नारिकेला बादि भने ।
-श्रीसम्भवनापजिन पूजा, मनरंगलाल, सत्यापयश, पुष्ठ २६ । ३. श्री ऋषभनापजिनपूजा, बख्तावररल, पवितति जिनयूबा, बीर पुस्तक
भण्डार, मनिहारों कारास्ता, जयपुर, पौष सं० २०१०, पृष्ठ १.। ४. श्रीफल लोंग बदाम सुपारी, एला मादि मंगाये।
श्री पद्मप्रभुजिनपूजा, रामचन्द्र, चतुविशति जिनपूजा, नेमीचन्द बाकलीवाल जैन, अंथ कार्यालय, मदनगंज (किशनगढ़) राजस्थान, अगस्त १९५०,
पृष्ठ ५५ ५. लोंग लायची श्रीफलसार, पूजों श्री मुनि सुखदातार ।
श्री विष्णु कुमार महामुनि पूजा, रघुसुन, जन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ १७४। ६. [क] मोष दन्तीज वातशत्र ल्याय के बने ।
-श्री पद्मप्रभुजिनपूजा, मनरंगमाल, सत्यार्थयत, पृष्ठ ४८ ॥ [ख] मीठे रसाल कदली फल नारिकेला ।
-श्री भरहनाप जिनपूजा, मनरंवलाल, सत्यार्पया, पृष्ठ १२८ । ७. श्री ऋषमनाजिनपूबा, बाबररल, चतुर्विधति जिनपूजा, वीर पुस्तक
भण्डार, मनिहारों का रास्ता, अपपुर, पौष सं० २०१८, पृष्ठ १०॥ ८. श्री सम्मेवसिवपूजा, रामचन्द्र जैन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ १३८ । १. श्री क्षमावाणी पूजी, मल्लवी, जैन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ २५६ । १०. पं० शिखरचन्द्र बन शात्री बारा सत्यार्पया पृष्ठ ४८ परको पत्र
जिनपूणा ति की टिप्पणी में मोषकावर्षमा उल्लिवित है।