________________
सातवा होराबारा रचित पूना काम में छहारा फल का प्रयोग पार्व-सामग्री के लिए बा है।
जायकल-एक विशेष फल जिसे जातिफल भी कहते हैं। पूजाकाव्य में महारहवीं शती के बयानतराय विरचित 'भो रस्नाय पूजा तथा बन्नीसवी शती के मनरंगलाल द्वारा भी सम्भवनापजिनपूमा काव्य में मायकल का प्रयोग हुआ है।
जावित्री-सावित्री जायफल जन्य है वो वाई के काम आती है। बांगुली और देवकुसमा इसके अपर नाम हैं। पूजाकाव्य में यह फल उन्नीसवीं शती के पूजा कवि मनरंगलाल विरचित 'श्री पुष्पदन्तजिनपूजा, भी नेमिनाप जिन-पूजा' नामक कृतियों में बांगुली और देवकुसमा संसानों में व्यवहत है।
१. श्रीफल बोर गाराम सुपारी, केला बादि छुहारा ल्याय । ___श्री आदिनाथ जिनपूजा, जैनपूजा पाठ संग्रह, पृष्ठ १६ । २. लोंग छिवारा भेंट चढ़ाऊँ, मोम मिलन के काजा।
-श्री चतुर्विशति तीर्थकर समुभवपूजा, हीराचन्द, नित्य नियम विशेष
पूजन संग्रह, पृष्ठ ७३। ३. बहत हिन्दी कोश, पुष्ठ ४९८-९९ । ४. फल शोभा अधिकार, लोंग छुहारे जायफल ।
-श्री रत्नपयपूजा, बानतराय, जैन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ७० । ५. जातिफल एला फल ले केला।
-धी सम्भवनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्य यज्ञ, पृष्ठ २६ । ६. पंडित शिखरचन्द्र जैन शास्त्री ने 'सत्यार्पयज्ञ' के पृष्ठ ७० पर 'श्री
पुष्पदंत जिनपूजा' कति की टिप्पणी में दसांगुली को गावित्री कहा है । ७. पंडित शिखरचन्द्र जैन शास्त्री ने सत्यापयश के पष्ठ १५५ पर श्री
नेमिनाप जिनपूचा कृति की टिप्पणी में देवकुसुमा के बर्ष जावित्री
८. दशांगुनी दास गाराम योगा।
-श्री पुष्पदंत जिनपूणा, मनरंगलाल, सत्यार्थ बम, पृष्ठ ७० । ६. बखून पिस्ता देव कुसुमा नवम पुगी पानी।
-श्री नेमिनाप जिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यापन, पृष्ठ १५५ ।