SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 315
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ छत्र-यह रामानों या पुस्पतिषि मुनियों के ऊपर लगायी जाने वाली राज-चिन्ह रूप छतरी है। भावकल बारातों में दूल्हा के ऊपर समते हुए देखने में माता है। पूजाकाग्य में प्रतिष्न एवं मय सामग्री की मांति छन उल्लिक्षित है । अठारहवीं सती के पूजाकवि दयानतराम में भी वृहत् सिबायक पूजा भाषा' में छत्र का प्रयोग इसी अर्थ में किया है।' उन्नीसवीं शती के पूजाकार बावन', रामचंद्र' और कमलनयन को पूजा रचनाओं में छत्र उपकरण उल्लिक्षित है। पोसवीं सती के पूजा प्रणेता नेम', जिनेश्वरदास और पूरणमल की पूमा रचनाओं में छत्र का व्यवहार परम्परा के अनुरूप ही हुमा है। सारी-पानी परसने हाथ-मुंह धुलाने आदि के लिए काम में लाया जाने बाला टोटीवार बरतन वस्तुत: 'शारी' कहलाता है। पूजाकाव्य में उन्नीसवों शती से भारी उपकरण का प्रयोग इसी अर्थ में मिलता है । इस शती के पूजाकवि रामचन्द्र और कमलनयन ने क्रमशः 'सारी रतन' 'रस्न जड़ित कंचन भारी का उपयोग काव्य कृतियों में बखूबी किया है। १. पुन्नी के शिर छत्र फरावे, पापी शीश बोझ ले धार्य । -श्री बृहत् सिद्धचक्र पूजाभाषा, बामसराय, जैन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ २३६। २. श्री चन्द्रप्रभु जिनपूजा, वंदावन , ज्ञानपीठ पूजांजलि पृष्ठ ३३७ । ३. श्री गिरनार सिवक्षेत्र पूजा, रामचन्द्र, जैन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ १४८ । ४. छत्र तीन राजे जिन शीश ।। -श्री पंचकल्याणक पूजापाठ, कमलनयन, हस्तलिखित । ५. श्री अकृषिम चैत्यालयपूजा, नेम, जैन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ २५५ । ६. तीन छत्र सिर ऊपर राजे चौसठि चामर सार । श्री नेमिनाथ जिनपूजा, जिनेश्वरदास, जन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ११४ । ७. कोई छत्र चंबर के करत दान । -श्री चांदनगांव महावीर स्वामीपूजा, पूरणमल, जैन पूजापाठ संग्रह पृष्ठ १६४ ५. सोहन भारी रतन जड़िये माहि गंगा जल भरो। श्री सम्मेद शिखर पूजा, रामचन्द्र, जैनपूजापाठ संग्रह, पृष्ठ १२६ । ९. रतन जडित कंचनमय भारी सुरसरि नीर भराय । श्री पंचकल्याणक पूजापाठ, कमलनयन, हस्तलिखित ।
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy