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(३) कहत बसता पर रतनवास ।
(बख्तावररत्न, श्री अजितनाथ जिनपूजा) (२० वीं शती)-११) शायक देव कहावो।
(बिनेश्वरवाल, श्री बमप्र पूजा) (२) अनुकूल कहें प्रतिकूल कहै।
(युगल, श्री देवशास्त्र गुरुपूजा) (३) जिसको निज कहता में।
(युगल, श्री रेवशास्त्र गुरुपूजा) (७) बलान (१८ वीं शती) (१) महामन महाभद्र बखाने ।
(दयानतराय, श्री बीस तोर्य कर पूजा) (२) चारों मेरु समान बखानों।
(व्यानतराय, श्री पंचमेरु पूजा) (१६ वीं शती) (१) तत्व संज्ञा बखानी।
(बखतावररत्न, श्री चन्द्रप्रम जिनपूना) (२) कहाँ लों बलाने।
(बख्तावररत्न, श्री शांतिनाथ जिनपूबा) (२० वीं शती) (१) तिन जयमाल बखान।
(रसुत, श्री विष्णुकुमार महामुनि पूना) (८) विराज (१८ वीं शती) (१) नेमि प्रभु जस नेमि विराज।
(ध्यानतराय, श्री बीस तीर्षकर पूजा) (२) सब गनत-मूल विराजहीं।
(धानतराय,धी पंचमेव पूना) (१६वीं पाती) (१) नौ हाथ उन्नत तन विराज।
(बख्तावररत्न, श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा) (२) तिनको कूल विराजा है।
(बस्तावररत्न, श्री अरहनाथ जिनपूना) (२० वीं शती) (१) लोकान्त विराज मन में जा।
(युगल, भी देवशास्त्र गुस्थूबा) (e) (१८ वीं शती) (१) तातें प्रबन्छन देत।
(पानतराय, श्री पंचमेव पूना)