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निरमल
पदारथ
परकाशक
मुकति
समरण
गया, यथा
अठारहवीं शती
औगुन
धुनि
( २४७ )
निर्मल
पदार्थ
प्रकाशक
मुक्ति
समर्थ
शय परकाशक सही'
मुकति मशार*
समरथ बनी
सुकम
अगुरु लघु सूक्षम वीर्य महा
हरव
जब पूज्जत तन मन हरव आन"
पूजा कृतियों में 'ब' वर्ण का कार्य 'ओ' और 'उ' की मात्रा से निकाला
सूक्ष्म
हर्ष
शुचि निरमल मीर मंच'
धर्म पदारथ जग में सार
अवगुण
ध्वनि
औगुन ह तीर्थंकर की धुन
१. श्री आदिनाथ जिनपूजा, सेवक, सगृहीतग्रंथ जैन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी नं० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ ६६ । २. श्री विष्णुकुमार महामुनि पूजा, रघुसु, सगृहीतग्रंथ - राजेश निस्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मंटिल, वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १९७६, पृष्ठ
३७० ।
३.
श्री पावापुर सिद्ध क्षेत्र पूजा, दौलतराम, संगृहीत ग्रंथ जैन पूजा पाठ संग्रह, भागचन्द्रपाटनी, नं० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १४८ ।
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४. श्री सिद्धपूजा, हीराचन्द, संगृहीत ग्रंथ- बृजिनवाणी संग्रह, पं० पालाम वाकलीवाल, मदनगंज, किशनगढ़, १९५६, पृष्ठ ३३३ /
५. श्री आदिनाथ जिनपूजा, सेवक, संगृहीत ग्रंथ - जन पूजापाठ संग्रह, भाग चन्द्र पाटनी, न० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ ६६
६ श्री सिद्धपूजा, हीराचन्द संगृहीत ग्र ंथ - बृहजिनवाणी संग्रह, पं० पखालाल वाकलीवाल, मदनगंज, किशनगढ़, १६५६, पृ० ३३१ ।
७. श्री सिद्ध पूजा भाषा, भविलालजू संगृहीतग्रन्थ - राजेश नित्य पूजापाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १६७६, पृष्ठ ७४ । ८. श्री निर्वाण क्षेत्र पूजा द्यानतराय, संगृहीतग्रन्थ- राजेश नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १६७६, पृष्ठ ३७३ ।
६. श्री सरस्वती पूजा द्यानतराय, संगृहीत ग्रन्थ-- राजेश नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १९७६, पृष्ठ ३७५