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प्रयुक्त शब्द
फाल्गुन
बान
( २४४ )
मल शब्द
फाल्गुण
वाण
पूजाकाव्य में अर्द्ध वर्ण को पूर्ण करके रखा गया है, यथा
अठारहवीं शती
अरघ
करम
वरव
दरशन
धरम
निरभय
अर्ध
कर्म
पूजा पंक्ति
फाल्गुन वदी'
मनवान
द्रव्य
दर्शन
धर्म
निर्भय
यह अरघ कियो निज हेत'
शुभ करम*
वसुवर है
सम्यग् दरशन
खानत धरम की नाव "
द्यानत करो निरभय
परकार
प्रकार
दान चार परकार
१. श्री चन्द्र प्रभु पूजा, जिनेश्वरदास, संगृहीतग्रन्थ - जैन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, नं० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १०२ । संगृहीत ग्रन्थ-- नित्य नियम विशेष पूजा (बिहार), पृष्ठ ६३ ।
२. श्री बाहुबलि पूजा, दीपचन्द संग्रह, ब्र० पतासीबाई, गया 4. श्री नन्दीश्वर द्वीप पूजा, पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र पृष्ठ १७२ ।
४. श्री चारित्र पूजा, द्यानतराय, संगृहीत ग्रन्थ - राजेश नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १९७६, पृष्ठ १६८ ।
द्यानतराय, संगृहीतग्रन्थ- राजेश नित्य मेटिल वक्सं, हरिनगर, अलीगढ़, १९७६,
५. श्री नन्दीश्वर द्वीप पूजा, द्यानतराय संगृहीतग्रन्थ - राजेश नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १६७६, पृष्ठ १७१ । ६. श्री चारित्र पूजा, ग्रानतराय, संगृहीत ग्रन्थ - राजेश नित्य पूजापाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १९५६, पृष्ठ १६६ । ७ वही, पृष्ठ १६६
८. श्री निर्वाण क्षेत्र पूजा, बानतराय, संगृहीतग्रन्थ- राजेश नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १६७६, पृष्ठ
३७४ |
६. श्री दशलक्षण धर्मपूजा, ज्ञानतराय, संगृहीतग्रन्थ - राजेश नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १६७६, पृष्ठ १८३ ।