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जिनेद्रदेव की माध्यामिक समा
के अर्थ में। बीसी शती में प्रयुक्त प्रतीक शब्दावलिः प्रतीक
प्रतीकेय बनवाण
अचूक लक्ष्य का प्रतीक
मनोवांछित फल प्राप्ति के अर्थ में तम
मोह के अर्थ में शिवपुर
मोन स्थल का प्रतीक
कल्पतक'
१. जय जय समबसरन धनधारी।
जय जय वीतराग हितकारी ॥ -श्री पद्म प्रभुजिनपूजा, वृन्दावन, संगृहीत ग्रंथ-राजेश नित्य पूजापाठ, संग्रह, राजेन्द्र मैटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १६७६, पृष्ठ ८६ । २. ले बाहिम अर्जुन बाण,
सुमन दमन झुमके। - ~श्री पम्पापुर सिद्ध क्षेत्र पूजा, दौलतराम, संग्रहीत ग्रंथ जैन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनो, नं० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १३८ । कल्पदम के लम जानतरा, रलत्रय के शुभ पुष्टवरा ।
-श्री तस्वार्थ सूत्र पूजा, भगवानदास, संगृहीत ग्रंथ-जैन पूजापाठ संग्रह,
वही, पृष्ठ ४१२ । ४. मोह महातम नामक प्रभु के ,
परणाम्बुज में देत चढ़ाय।
-श्री नेमिनाथ जिनपूजा, जिनेश्वरदास, संगृहीत ग्रंथ, वही, पृष्ठ ११२ । ५. विनती ऋषभ जिनेश को, जो पढ़सी मन लाय ।
स्वर्गों में संशय नही, निश्चय शिवपुर जाय ॥ -~ी मादिनाथ जिनपूजा, सेवक, संगृहीत -जैनपूजा पाठ संग्रह भागधन पाटनी नं० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७ , पृष्ठ ११ ।