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मोह के वर्ष में चित चित
मायावाल के अर्थ में तिमिर
मोह के मर्ष में नवनीत
मुक्ति के वर्ष में शिवपुर
मोलस्थान के वर्ष में १. जय भव्य हृदय आनंदकार ।
जय मोह महागज दलनहार ॥ -श्री पंच कल्याणक पूजापाठ, कमलनयन, हस्तलिखित । श्रीकरि चित-चातक चतुर चचित । जजत है हित धारिके ॥ -श्री नेमिनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, संग्रहीत ग्रंथ-मानपीठ पूजांजलि, अयोध्याप्रसाद गोयलीय, मंत्री भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोग,
बनारस, पृष्ठ ३६५। ३. जिन चंद चरन घरच्यो चहत । चित चकोर नचि रच्चि रुचि।। -श्री चन्द्रप्रभ जिनपूजा वृन्दावन, संगृहीत ग्रंथ-ज्ञानपीठ पूजांजलि, अयोध्याप्रसाद गोयलीय, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस,
पृष्ठ ३३३ । ४. जय जयहिं सर्वसुन्दर दयाल ।
लखि इन्द्र जालवन जगतजाल ॥
--श्री अप सप्तर्षिपूजा, मनरंगलाल, संगहीत ग्रंथ-वही, पृष्ठ ३९२ ५. तिमिर मोह नाशन के कारन ।
जजों चरन गुन धाम || -श्री पदम प्रभु जिनपूजा, वृन्दावन, संग्रहीत ग्रंथ-राजेश नित्य पूजापाठ
संग्रह, राजेन्द्र मैटिल वक्स, हरिनगर, अलीगढ़, १६७६, पृष्ठ ८२। ६. 'वृन्दावन' सो चतुर नर,
लहै मुक्तिः नवनीत ।
- श्री महावीर सामी पूजा, वृन्दावन, संगृहीत अंथ-वही पृष्ठ १३२ । ७. तुम चरण चढ़ाऊं दाह नसाऊं, शिवपुर पार्क हित धारी । -श्री भुनाथ जिन पूजा, बख्तावररस्न, संगृहीत अंध-भानपीठ पूरीजलि, अयोध्याप्रसाद गोयलीय, मंत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्वाप रोग, बनारस, पृष्ठ ५४।।