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( २१. )
काम के अर्थ में पीचरा'
भव के अर्थ में विषबेल'
विषयामिलाषा के अर्थ में शिवपुरी
मुक्तिस्थल के अर्थ में उन्नीसवीं शती में व्यवहत प्रतीक शम्दावलिः प्रतीक शब्द
प्रतीकार्य
सुख-गाम्भीर्य के अर्थ में केहरि
काल के अर्थ में काम-नाग विषधाम नाम को गरुड कहे हो। छुधा महादव बाल तासु को मेष लहे हो । -श्री बीम तीर्थ कर पूजा, द्यानतराय, संगृहीतग्रंथ-राजेश नित्य
पूजापाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, अलीगढ़, १६७६, पृष्ठ ५६ । २. कर करम की निर जरा,
भव पीजरा विनाश । -श्री दशलक्षण धर्मपूजा, द्यानत राय, संगृहीत ग्रंप-राजेश नित्य पूजा संग्रह, राजेन्द्र मैटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १६७६, पृष्ठ १६६ । संसार में विषबेल नारी, तजि गये जोगीश्वरा। -श्री दशलक्षण धर्मपूजा, द्यानतराय, संग्रहीत अंध- राजेश नित्य पूजा
संबहः राजेन्द्र मैटिल वसं, हरिनगर ,अलीगढ़, १६४६, पृष्ठ १७८ । ४. पानत धर्म की नाव बैठो, :शिवपुरी कुशलात है।
-~-श्री चारित्रपूजा, यानतराय, संग्रहीतग्रंथ-राजेश नित्य पूजापाठ
संग्रह, राजेन्द्र मैटिल वर्क्स, हरिनगर, असीमढ़, १६७६, पृष्ठ १६६ । ५ पय चंदन नर तदुल सुमना सूप ले ।
दीप धूप फल अर्घ महापुख-कूप ले ॥
-श्री अनंतनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, सगृहीत ग्रंथ-शानपीठ पूजांजलि, । प्रकाशक-अयोध्याप्रसाद गोयलीय, मत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड
रोड, बनारस, प्रथम संस्करण, पृष्ठ ३५१ ।। ६. श्री मतवीर हरे भवपीर, भरे सुखसीर अनाकुलताई।
केहरि बंक अरीकरदक, नये हरि-पंकति मौलि सुआई ।। ~ श्री महावीर स्वामी पूजा, बन्दावन, संगृहीत ग्रंथ-राजेश नित्य पूजापाठ संग्रह, राजेन्द्र मैटिल बक्स, हरिनगर, अलीगढ़, १९७६, पृष्ठ १३२।