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________________ 51 रत्नपाल 154 जैन ग्रन्थ-प्रशस्ति संग्रह रत्नकीति (गुरुभ्राता भुवनकीर्ति) 61 लक्ष्मीसेन रत्नचन्द्र (भट्टारक) 61, 62, 63 लखु (ठक्कुर) रत्ननन्दि ___ 76 ललितकीर्ति (भ०)शिष्य धर्मचन्द्र 63 ___35 ललितकीर्ति (भट्टारक) 62, 35, 67, रत्नपाल (बुध) 18 24, 205, रत्नभूषण 27, 56, 68, लालजी वर्णी (विबुध) 78 रत्नराजऋषि ___30 लोहार्य (लोहाचार्य) रविचन्द्र 187 वट्टकेरादिक 127 रविषेण 36, 127, 101, 102, 207 वर्धमान (कवि) 86,113 रत्नाकर सूरि 75 वसुनन्दी राघव (बुध-,श्रुतकीर्ति शिष्य) 8 वसुनन्दिसूरि राजश्री (आर्यिका) 222 वाग्भट्ट (कवि) 8, 206, 220 राजेन्द्रचन्द्र (मुनिचन्द्र शिष्य) 10 वाग्भट 161 रामकीर्ति (भट्टारक) 40 वादिचन्द्र (प्रभाचन्द शिष्य) रामचन्द्र मुनि 33, 36 26, 63 180 रामचन्द्र मुमुच 154 वादिभूषण (भट्टारक) 40, 224, 225 रामसेन 27, 56, 56, 2, 13, 15, वादिराज 2, 45, 206 16, 106, 177, 178, 176, वादीन्द्र (वादिचन्द्र) 221, वादीभसिंह ___ 154, 223 रामसेन मुनि 68, वामदेव / रायमल्ल (वती-,मावणिक पुत्र) 100 बालेन्दु (बालचन्द्र) रूपचन्द (पण्डित) 158, 156, 161, वासवनन्दी 162, वासवसेन (वागडान्वयो) लक्ष्मण 31, 128, वासबसेन 10 // लयम (ण) सेन विजयकीर्ति (भट्टारक) 16, 40, 42, लक्ष्मीचन्द्र (भट्टारक) 43,87, 152, 44, 45, 47, 46, 52, 54, 55, 153, 155, 156, 181, 224 100 191 136
SR No.010101
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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