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________________ परिशिष्ट 217 10 है. 104 156 माधवचंद्र 167 0 बल्हणी 117 मल्लिषेण गणी 148 बीजाव 137 महादेव कवि बोध(ज्ञान)भूषण मुनि महासेनसूरि ब्रह्मसेन महेन्द्रकीर्ति भद्रबाहु 30, 48, 13, 101, 197 महेन्द्रदत्त यती भा 114 माणिक्यसेन भानुकीनि (भट्टारक) माण्डव भारतीभूषण 188 भावसेन 4, 17, 103 माधवचंद्रमुनि भावकीर्ति 108 माधवचंद्र त्रैविद्यचक्रवर्ती भीम 63 माधवनन्दि भीमसेन 56, 68, 106 माधव भट्ट 178 भुवनकीर्ति , 16, 40, 46, 46 मुनिचन्द्र 61,101, 102 मुनिचन्द्रसूरि भुवनकीर्ति (भट्टारक) 42, 43, 44 मुनीन्द्र (मुनिचन्द्र) 53, 16, 206, 224 मेधेन्दु (मेधचन्द्र) भूतबली 191 मेदार्य (गणधर) 3, 103 भूपाल कवि मतिसागर 1, 2, 3, 31 यति वृषभ 166, 183 मदहमल्ल (हस्तिमल्ल) 113 यशः कीर्ति (भ०) 34, 35, 37, 60, मनोहर (शिष्यभ० देवेन्द्रकीर्ति) 73 61, 68, 70, 18, मलयकीर्ति 131 यशसेन मल्लिभूषण 15, 17, 18, 30, 87, यशोभद्र 146, 152, 155, 157, 181, योगदेव (पण्डित) मल्लिभूषण गुरु 210, 218, 216 रक्करत्न (अरुणमणि) मल्लिषेण 134, 147, 146, 151, रत्नकाति 11, 12, 14, 21, 34, 152 56, 60, 60, 7, 63 u m
SR No.010101
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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